by rahul | Jul 10, 2023 | फुरसत के पल
फूल से बोली कली, क्यों व्यस्त मुरझाने में है?फायदा क्या गंध औ’ मकरंद बिखराने में है? तू स्वयं को बांटता है, जिस घडी से तू खिलाकिन्तु उस उपकार के बदले में तुझको क्या मिला? देख मुझ को, सब मेरी खुशबू मुझी में बंद हैमेरी सुन्दरता है अक्षय, अनछुआ मकरंद है में किसी...
by rahul | Jul 10, 2023 | फुरसत के पल
बात ऐसी करजिसमें कुछ दम हो.जो न सेरों से, न छटाकों सेमगर मन से तुले.खो न जाए गूंजकर आकाश मेंमन में घुले. बात ऐसी कर जिसकी कुछ असर हो.बात ऐसी कह जिसका ठीक सर हो, धड हो.बात का भी होता हैनिजी अस्तित्व अपनाठीक जैसा आदमी का .बात लेती जन्म, जीती है और मरती है.कफ़न देकर...
by rahul | Jul 10, 2023 | फुरसत के पल
बिखरे भावों को शब्दशब्द को गीतगीत को लय देंआओ कोलाहल को स्वर दें. वर्षा के जल को प्रवाहप्रवाह को दिशानदी को भागीरथ तट देंआओ कोलाहल को स्वर दें. संशय भरे अनिश्चय को निष्ठानिष्ठा को विश्वासविश्वास को संकल्पित मन देआओ कोलाहल को स्वर दें. भटके लोगों को राहराह को...
by rahul | Jul 10, 2023 | फुरसत के पल
बाढ़ की संभावनाएँ सामने हैऔर नदियों के किनारे घर बने हैं. चीड़ बन में आँधियों की बात मत करइन दरख्तों के बहुत नाजुक तने हैं. इस तरह टूटे हुए चेहरे नहीं हैजिस तरह टूटे हुए ये आयने हैं. आप की कालीन देखेंगे किसी दिनइस समय तो पाँव कीचड में सने हैं. जिस तरह चाहो बजा लो इस...
by rahul | Mar 9, 2023 | फुरसत के पल
एक बची चिंगारी चाहे चिता जला या दीप. जीर्ण थकित लुब्धक सूरज की लगन को है आँखफिर प्रचीति से उडा तिमिर खग, खोल सांज की पांखहुई आरती की तैयारी शंख खो दिया सीप…. मिल सकता मन्वंतर क्षण चूका सको यदि मोलरह जायेंगे कालकंठ में माटी के फूल बोल आदत से आबद्ध गतागत फिर क्या...
by rahul | Mar 9, 2023 | फुरसत के पल
खुले नयन से सपने देखो, बंद नयन से अपने.अपने तो रहते हैं भीतर, बाहर रहते सपने. नाम रूप की भीड़ जगत में, भीतर एक निरंजनसुरति चाहिए अंतर्दृक को, बाहर दृक को अंजन. देखे को अनदेखा कर के अनदेखे को देखा क्षर लिख लिख तू रहा निरक्षर, अक्षर सदा...