डॉ. मनमोहन वैद्य

बचपन से पढने में रूचि थी. सब से पह्ले रहस्य कथाएँ तथा कहानियां पढने लगा.बाद में चरित्रात्मक उपन्यास में रूचि निर्माण हुई. उसी दौरान कविताओं का रसास्वाद लेना शुरू हुआ. आपातकाल के समय कारावास में विभिन्न राज्यक्रन्तियाँ तथा राज्यों के उथलपुथल जैसे विषयों में रूचि जागी.उसके पश्चात् जीवन चरित्र, आत्मचरित्र और तत्वज्ञानात्मक, आध्यात्मिक विषय पढने में रूचि लगने लगी. पढ़ते समय जों भी अच्छा लगा उसे लिखना तथा मित्रों से साँझा करने का स्वभाव बना. ऐसे मित्र भी मिलते गए. “समान शीले व्यसनेषु सख्यम् |” मित्रों को बार बार सुनाने के कारण कई बाते कंठस्थ भी होती गयी. परन्तु उसकी भी एक मर्यादा है ही.हर बार प्रवास में नोटबुक साथ ले जाना संभव नहीं था.इसलिए “विरंगुळा”(मुक्त समय, आनंद का समय) नामका ब्लॉग शुरू किया जिस में अधिक तर मराठी में जानकारी है. जब समय मिलता इस ब्लॉग को खोलकर आनंद का आस्वाद लेता था.
गुजरात में २२ वर्ष बिताने के कारण गुजराती साहित्य पढना शुरू हुआ. गुजराती के अच्छे साहित्य के संग्रह हेतु “हळवाश” नमक ब्लॉग शुरू हुआ. इसी तरह हिंदी के लिए “फुरसत के पल” नमक ब्लॉग बना.फिर मेरे द्वारा लिखे गए कुछ लेख तथा दिए साक्षात्कार जों प्रकाशित हुए उन्हें एकत्र रखने के लिए “सेफ्रन सर्ज” नाम का ब्लॉग शुरू हुआ. और अभी सभी ब्लोग्स एकत्र रखने के लिए इस वेबसाइट की कल्पना सामने आयी. इस से मराठी,गुजराती, हिंदी तथा अंग्रेजी भाषा को पढने वाले पाठक इस का आनंद ले सके और हिंदुत्व के विचार को समझ पाए यह इस वेबसाइट का उद्देश्य है.
यह हितचिन्तक एवं जिज्ञासु पाठकों को समर्पित है. पाठकों की प्रतिक्रिया स्वागतार्ह है. पाठक भी इस संग्रह को समृद्ध करने हेतु अवश्य कुछ योगदान कृपया दें.
मनमोहन वैद्य.