Mind of Bharat
आजादी के आंदोलन में संघ का बड़ा योगदान था लेकिन संघ को श्रेय लेने की आदत नहीं
कुछ समय पूर्व एक पत्रकार मिलने आए। बात-बात में उन्होंने पूछा कि स्वतंत्रता आन्दोलन में संघ का सहभाग क्या था? शायद वे भी संघ के खिलाफ चलने वाले असत्य प्रचार के शिकार थे। मैंने उनसे प्रतिप्रश्न किया कि आप स्वतंत्रता आन्दोलन किसको मानते हैं? वे इसके लिए तैयार नहीं थे।...
कोरोना संकट के समय पूरे विश्व को दृष्टि, विशेषज्ञता और अनुभव से भारत दे सकता है एक नई दिशा
कोरोना वायरस संक्रमण के कारण भारत ही नहीं पूरा विश्व प्रभावित हुआ है। पृथ्वी की गति के सिवाय, सारी गति रुक सी गयी है। विमान नहीं उड़ रहे, ट्रेनें नहीं चल रहीं, कारें नहीं दौड़ रहीं। मनुष्य का पैदल घूमना भी बंद सा हो गया है। पृथ्वी-प्रकृति अपनी स्वच्छ-स्वस्थ साँस ले...
अयोध्या पर अनुदार सोच का प्रदर्शन
जैसे ही सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि उसकी प्राथमिकताएं भिन्न हैं और अयोध्या में राम मंदिर के मामले की तेज सुनवाई का उसका कोई इरादा नहीं, यह मुद्दा जनता के बीच गर्मागर्म चर्चा का विषय बन गया। यह स्थिति मुझे 1948 में सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण के दौरान उभरने...
भारतीयता से दूर भागते वामपंथी
मेरे परिचित परिवार की एक छात्रा जयपुर में पढ़ती है। जयपुर लिटरेचर फ़ेस्टिवल में वह प्रबंधक (वोलंटियर) के नाते जुड़ी थी। पहले दिन के बाद उसने अपना अनुभव बताया कि सभी सत्रों में, वक्ताओं में और प्रबंधकों में भी ‘लेफ़्ट’ का साफ प्रभाव और वर्चस्व दिखता है। मुझे यह जानकर...
भारतीयता का मूल भाव
'भविष्य का भारत' - इस विषय पर हाल ही में हुई व्याख्यान माला में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन जी भागवत ने जब कहा कि “संघ जिस बंधुभाव को लेकर काम करता है, उस बंधुभाव का एक ही आधार है, विविधता में एकता। परम्परा से चलते आए इस चिंतन को ही दुनिया हिंदुत्व...
संघ समय के साथ बदलने वाला कर्मठ संगठन
दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवतजी की तीन दिवसीय व्याख्यानमाला, भविष्य का भारत : संघ का दृष्टिकोण, पूर्णतया सफल रही। इस व्याख्यानमाला में प्रतिपादित विषयों की कुछ चर्चा अभी भी चल रही है। श्रोताओं में ज्यादातर नए लोग थे इसलिए उन्हें संघ की...
जड़ों से कमज़ोर जुड़ाव के दुष्परिणाम
कांग्रेस पार्टी जो चर्च द्वारा समर्थित और कम्युनिस्टों के अभारतीय विचारों से प्रभावित है ऐसा लगता है, के कुछ नेता, जब अपने क्षुद्र राजनीतिक स्वार्थों के लिए भारत की अस्मिता पर ही आघात करने वाले वक्तव्य देते हैं, तो आश्चर्य कम, लेकिन पीड़ा होती है। ये नेता उच्च विद्या...
मुस्लिम ब्रधरहुड विवेकानंद का विश्वबंधुत्व नहीं
कांग्रेस अध्यक्ष श्री राहुल गांधी द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तुलना ‘मुस्लिम ब्रदरहुड’ के साथ करने पर संघ से परिचित और राष्ट्रीय विचार के लोगों आश्चर्य होना स्वाभाविक है। भारत के वामपंथी, माओवादी और क्षुद्र राजनीतिक स्वार्थ के लिए राष्ट्र विरोधी तत्वों के साथ...
प्रणबदा के साथ संघ विरोधियों को भी धन्यवाद
धन्यवाद डॉ. प्रणबदा अपने ही लोगों के तीव्र विरोध के बाद भी पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर प्रणब मुखर्जी संघ के कार्यक्रम में नागपुर आए और पूर्ण सहभागी हुए इस लिए उनका विशेष अभिनंदन एवं धन्यवाद।वह डॉक्टर केशवराव बलिराम हेडगेवार के घर भी गए और वहाँ अपना भाव एकदम स्पष्ट शब्दों...
वैचारिक आदान-प्रदान का बेजा विरोध करने वालों की वैचारिक संकीर्णता हो रही है स्पष्ट
सेवक संघ के नागपुर में चल रहे तृतीय वर्ष के प्रशिक्षण वर्ग के समापन में मुख्य अतिथि के नाते आने के लिए भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. प्रणव मुखर्जी ने स्वीकृति दी है। इससे देश के राजनैतिक गलियारों में भारी हलचल की स्थिति देखने में आई। डॉ. मुखर्जी एक अनुभवी और परिपक्व...
गुरू रविंद्रनाथ ने कहा था ‘हमें सबसे पहले हम जो हैं वह बनना पड़ेगा’, जानें- कोरोना काल में इसके मायने
कोरोना काल हो या विश्व संकट की कोई भी घड़ी, भारत ने कभी भी केवल अपने बारे में नहीं सोचा। अपने साथ-साथ विश्व कल्याण की बात ही भारत ने हमेशा सोची है. “आत्मनो मोक्षार्थम् जगत् हिताय च” यही भारत का विचार और आचरण रहा है। अपने “स्वदेशी समाज” नामक निबंध में गुरुवर्य...
‘वयं राष्ट्रांगभूता’ का दर्शन
महामारी के इस दौर में संघ के स्वयंसेवकों और अन्य कोरोना योद्धाओं ने यह देश हमारा है, यह समाज अपना है, इन सब भावों के साथ जरूरतमंदों की मदद की। इन लोगों ने अपनी चिंता छोड़ दिन-रात पीड़ितों की सेवा करके ‘वयं राष्ट्रांगभूता’ के भाव का ही दर्शन कराया है भारत के साथ पूरी...